. . . . . . . . . इतिहास में 30 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 30 मई 1919 को राविंद्रनाथ टैगोर ने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में सर की उपाधि वापिस की थी। आज ही के दिन यानि 30-31 मई 1936 को दादर बंबई में एक बड़ी कान्फ्रेंस में डाः अम्बेडकर ने कहा, धर्म बदली करने में आपका कोई नुकसान नहीं, तुम्हारी जंजीरें ही टूटेंगी। भले ही यह समस्या सामाजिक रुतबे के लिए एक संघर्ष मालूम होती है, वास्तव में यह एक वर्ग संघर्ष है। घोर अत्याचार, अधिकार वालों और अधिकार वंचितों के दरम्यान लगातार चलते आ रहे संघर्ष का एक हिस्सा हैं। अपना संघर्ष जारी रखने में दलित वर्गों के पास तीन जरुरी कमियां हैं, मानविय धर्म, मानविय शक्ति नहीं, धन नहीं, बुद्धी नहीं। हिंदू धर्मी रहते यह शक्तियां मिल भी नहीं सकतीं। सच्चे धर्म का उद्देश्य है, मानव की तरक्की। इस उदेश्य की पूर्ती के लिए धर्म, भ्रात्रीभाव समानता और स्वतंत्रता जैसे गुणों की शिक्षा दे। हिंदू धर्म यह गुण नहीं सिखाता। इनके लिए अनुकूल माहैल नहीं दे सकता, विकास के लिए स्वतंत्रता से मुनकर है। शिक्षा, धन दौलत...