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मई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

News update

अगर दिमाग में अंधभक्ति नहीं होगी तो लोग जरूर पूछेंगे कि इतने लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है ? ये वो लोग हैं जो कोरोना की वजह से नहीं बल्कि बद इंतजामी की वजह से मरे हैं। ये सभी लोग गरीब परिवारों से हैं।  अगर अमीर होते तो इतनी संख्या में नहीं मरते। मतलब समझ में आना चाहिए कि सरकार किन लोगों के लिए काम कर रही है। अगर हमारे लिए नहीं कर रही तो हमारे वोट की हकदार कैसे हो सकती है ?

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अब देश का नाम बदलने की तैयारियां हो रही हैं। इसके बाद संविधान बदलने की बात होगी। बोला जाएगा कि जब इस देश का नाम हिंदुस्तान मतलब हिंदुओं का देश है तो फिर संविधान में धर्म निरपेक्ष शब्द क्यों होना चाहिए ?

History in 30 May

. . . . . . . . . इतिहास में 30 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 30 मई 1919 को राविंद्रनाथ टैगोर ने जलियांवाला बाग नरसंहार के विरोध में सर की उपाधि वापिस की थी। आज ही के दिन यानि 30-31 मई 1936 को दादर बंबई में एक बड़ी कान्फ्रेंस में डाः अम्बेडकर ने कहा, धर्म बदली करने में आपका कोई नुकसान नहीं, तुम्हारी जंजीरें ही टूटेंगी। भले ही यह समस्या सामाजिक रुतबे के लिए एक संघर्ष मालूम होती है, वास्तव में यह एक वर्ग संघर्ष है। घोर अत्याचार, अधिकार वालों और अधिकार वंचितों के दरम्यान लगातार चलते आ रहे संघर्ष का एक हिस्सा हैं। अपना संघर्ष जारी रखने में दलित वर्गों के पास तीन जरुरी कमियां हैं, मानविय धर्म, मानविय शक्ति नहीं, धन नहीं, बुद्धी नहीं। हिंदू धर्मी रहते यह शक्तियां मिल भी नहीं सकतीं। सच्चे धर्म का उद्देश्य है, मानव की तरक्की। इस उदेश्य की पूर्ती के लिए धर्म, भ्रात्रीभाव समानता और स्वतंत्रता जैसे गुणों की शिक्षा दे। हिंदू धर्म यह गुण नहीं सिखाता। इनके लिए अनुकूल माहैल नहीं दे सकता, विकास के लिए स्वतंत्रता से मुनकर है। शिक्षा, धन दौलत...

History in 29 May

. . . . . . . . . इतिहास में 29 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 29 मई 1883 को हिंदुत्ववादी नेता और कवि विनायक दामोदर सावरकर का जन्म हुआ था। इनको वीर सावरकर भी कहा जाता है। ये कितने वीर थे इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने काला पानी से रिहाई के लिए अंग्रेजों से चौदह बार लिखित में माफी मांगी और ताउम्र उनका वफादार रहने का वायदा किया। आज ही के दिन यानि 29 मई 1928 को बाबा साहेब अंबेडकर ने साईमन कमिशन को मांग पत्र दिया था। जब गैर दलितों में से सर छोटू राम के सिवाय सारा देश साईमन कमिशन का विरोध कर रहा था तब बाबा साहेब ही थे जिन्होने दूरअंदेशी से काम लेते हुए अपने लोगों की बात रखी और जीत हासिल की। इस के बाद ही लंदन में गोलमेज सम्मेलन हुए और दलितों को पढ़ने लिखने, नौकरी करने और चुनाव लड़ कर संविधान सभायों में जाने के अधिकार मिले। आज ही के दिन यानि 29 मई 1929 को बाबा साहेब ने जलगांव में एक कान्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अछूतों के लिए हिंदू समाज में रहते हुए छूआ छात और सामाजिक नाबराबरी से बच पाना असंभव है। इस...

History in 28 May

. . . . . . . . . इतिहास में 28 मई . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 28 मई 2008 को नेपाल में 240 साल से चली आ रही राजाशाही का अंत हुआ था। करीब दस साल तक चले गृहयुद्ध के बाद राजवंश के हाथों से देश की सत्ता छूट गई। इसके बाद से माओवादी हथियार छोड़कर देश की राजनीति में उतर आए।  28 मई 2008 को वामपंथियों को चुनाव में जीत मिली। तब तत्कालीन नेपाल नरेश ज्ञानेंद्र को अपदस्थ कर देश को गणतंत्र घोषित कर दिया गया। राजाशाही के समय देश हिंदू राष्ट्र था। वहां का राजा खुद को विष्णु का अवतार कहलाता था। बाद में जब संविधान बना तो ज्यादातर लोगों ने इसे धर्म निरपेक्ष रखने की हिमायत की। नेपाल धर्म निरपेक्ष देश बना भी, लेकिन संघ के इशारे पर नेपाल पुनः हिंदू राष्ट्र की तरफ लौट आया है।                            दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 27 May

. . . . . . . . . इतिहास में 27 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 27 मई 1710 को बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद पर कब्जा करने के बाद किले के बाहर आम लोगों का इकट्ठ बुलाया और लोकराज का ऐलान किया था। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि आज से जमीन का मालिक सिर्फ काशतकार होगा। उन्होंने जमींदारी की प्रथा को खत्म कर दिया। यह भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का कोई पहला बादशाह था जिसने जगीरदारी का खात्मा किया। बंदा सिंह ने जो सिक्का जारी किया उस पर उनके खुद के नाम की बजाय गुरू नानक और गुरू गोबिंद सिंह का नाम लिखा हुया था। आज ही के दिन 27 मई 1935 को बाबा साहेब डाः अम्बेडकर की पत्नी (माता) रमाबाई का निरवाण हुआ था। बाबा साहेब की तरक्की में उनका बहुत योगदान था। बाबा साहेब तो संघर्षों में रहते थे और वो सख्त मेहनत करके घर का खर्चा चलाती थीं। इस लिए उनकी मौत के बाद बाबा साहेब ने दुखी हो कर सन्यासी बनने का फैसला कर के गेरूए बस्त्र धारण कर लिए थे। दस हजार से ज्यादा लोग माता रमाबाई की अर्थी के साथ गए। डाः अम्बेडकर की उस समय की मानसिक अवस्था बया...

The real reason for the martyrdom of Guru Arjan Sahib g

ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਦਾ ਅਸਲੀ ਕਾਰਨ 1469 ਵਿੱਚ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਜਨਮ ਤੋਂ ਗੁਰਗੱਦੀ ਸ਼ੁਰੂ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਹੀ 1526 ਵਿੱਚ ਬਾਬਰ ਹਮਲਾਵਰ ਬਣ ਕੇ ਆਇਆ ਅਤੇ ਆਪਣਾ ਰਾਜ ਕਾਇਮ ਕਰ ਕੇ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਬਣ ਗਿਆ। ਗੁਰਗੱਦੀ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਸਾਹਿਬ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚੀ। ਅਜੇ ਤੱਕ ਵੀ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਕੋਈ ਇਤਰਾਜ਼ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਫਿਰ 1064 ਈਸਵੀ ਵਿੱਚ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸੰਪਾਦਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਹੀ ਸ਼੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸੰਪਾਦਨਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸੇ ਸਮੇਂ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਅਕਬਰ ਕੋਲ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਹਨ। ਬ੍ਰਾਹਮਣਾਂ ਨੂੰ ਕਿਉਂ ਤਕਲੀਫ਼ ਹੈ ਇਹ ਗੱਲ ਗੌਰ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਹੈ। ਇਸਦਾ ਅਸਲ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਹੁਣ ਤੱਕ ਗੁਰੂ ਉਹ ਵਿਅਕਤੀ ਬਣਦੇ ਆਏ ਸਨ ਜਿੰਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਜ ਖੱਤਰੀ ਕਹਿ ਕੇ ਉੱਚੇ ਮੰਨਦਾ ਆਇਆ ਹੈ। ਪਰ ਹੁਣ ਪੰਜਵੇਂ ਗੁਰੂ ਨੇ ਇੱਕ ਨਵੀਂ ਗੱਲ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਸ਼ੂਦਰ/ਅਛੂਤ ਅਤੇ ਮਲੇਛ ਕਹੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਨੂੰ ਵੀ ਉੱਚੀਆਂ ਜਾਤੀਆਂ ਦੇ ਪੁਰਖਿਆਂ ਦੀ ਬਾਣੀ ਦੇ ਨਾਲ ਦਰਜ ਕਰ ਕੇ ਬਰਾਬਰ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦੇ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਲਈ ਉੱਚ ਜਾਤੀਆਂ ਨੂੰ ਤਕਲੀਫ਼ ਹੋਈ ਅਤੇ ਇਸ ਮਾਮਲੇ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਰਾਜ ਦਰਬਾਰ ਵਿੱਚ ਪਹੁੰਚ ਗਈ। ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰਨ ਦੀ ਜੁਰਅਤ ਵੀ ਇਸ ਕਾਰਨ ਹੋਈ ਕਿਉਂਕਿ ਹਮਾਯੂੰ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਜਦੋਂ ਅਕਬਰ ਨੇ ਗੱਦੀ ਸੰਭਾਲੀ ਤਾਂ ਉਸਦੀ ਉਮਰ ਬਹੁਤ ਛੋਟੀ ਸੀ। ਉਸਨੂੰ ਵ...

History in 25 May

. . . . . . . . . इतिहास में 25 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 25 मई 1928 को मराठी लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता व लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के छोटे पुत्र श्रीधर बलवंत तिलक ने आत्महत्या की थी। श्रीधरपन्त का अपने पिता और ब्राह्मणों से अश्पृष्यता के कारण विवाद था। वे सब स्वतंत्रता की आड़ में वही रूढ़ि रिवाज लाना चाहते थे जो कि अन्याय कारक था। उनके अनुसार इससे बेहतर तो अंग्रेज राज ठीक है। श्रीधर अपने पिता से हमेशा लड़ते थे कि वे उन ब्राह्मणों को अनदेखा कर रहे हैं जो धर्म के नाम पर दिन दलितों को उनके हक से वंचित रखना चाहते हैं। यह वाद उनके शादी के समय काफी बढ़ा जब श्रीधर ने शादी के लिए अलग अलग रिवाज के लोगों को आमंत्रित करवाया और शादी में ब्राह्मण रिवाज का विरोध किया जिसके चलते लोकमान्य तिलक ने ब्राह्मणों के आग्रह पर, पंचगव्य प्रसाद को प्रायश्चित के रूप में तैयार किया। श्रीधर पन्त ने उसका विरोध किया और कहा कि अगर आप मेरी शादी के लिए प्रायश्चित चाहते हैं, तो बेहतर है कि शादी न करें। श्रीधर पन्त खुल कर डॉ. बाबा साहब आ...

History in 24 May

. . . . . . . . . इतिहास में 24 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 24 मई 1885 को सैय्यद अहमद खान ने अलीगढ़ में मुहम्मदीन एंगलो ओरिएंटल स्कूल की स्थापना की जो वर्तमान में अलीगढ़ विश्वविद्यालय के नाम से प्रसि़द्ध है। आज ही के दिन यानि 24 मई 1875 को महात्मा फूले को मराठी लेखकों के समागम में बुलावा आया। फूले जी ने कहा कि हमारी संस्थाएं और किताबों का उनके लेखकों से कोई संबंध नहीं होता जो मानविय अधिकारों के बारे में खुले तौर पर कुछ ना कह सकें। उनकी किताबों का संदेश और शिक्षाएं एक लिफाफेबाजी है जो हमारी किताबों के संदेश से अलग है। आज ही के दिन यानि 24 मई 1896 को जिला लुधियाना के गांव सराभा में शहीद करतार सिंह सराभा का जन्म हुआ था। गदर लहर के सबसे छोटी उम्र के इस नेता को 16 नव्रबर 1915 को 6 और गदरियों के साथ लाहौर में फांसी दी गई। आज ही के दिन यानि 24 मई 1956 को बाबा साहेब डाः भीम राव अम्बेडकर द्वारा तथागत बुद्ध की 2500वीं जन्म शताबदी मनाई गई। दीक्षित होने से पहले ही उन्होंने बौद्ध रीति रिवाज अपनाने शुरु कर दिए थे। आज ...

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चर्चित उन्नाव रेप कांड के दोषी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को हाई कोर्ट से जमानत मिलने की खबर है। लगातार ऐसे ही कई मामलों से स्पष्ट हो रहा है कि देश में न्याय नाम की चीज नहीं रही। न्यायपालिका की हालत ऐसी हो गई है कि उनका काम फैसला सुनाना है, न्याय करना नहीं। फैसला भी वही सुनाया जाएगा जो सरकार कहेगी। अगर पीड़िता उसी जज की बेटी होती, तो भी वह सेंगर को  जमानत दे देता। सेंगर नाम के इस हैवान ने पीड़िता के पूरे खानदान को मार डाला, फिर भी उसे जमानत मिल गई। लानत है ऐसे न्यायपालिका पर।                            दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

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History in 22 May

. . . . . . . . . इतिहास में 22 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 22 मई 1987 को पी.ए.सी. (Provincial Armed Constabulary) द्वारा मेरठ के हाश्मिपुरा से 15 से 25 साल तक के 47 मुस्लिम युवकों को जबरदस्ती अपने टरक्कों में बिठा लिया गया। इन सब को नदी के किनारे लिजा कर गोलियों से भून दिया गया। इन में से 42 नौजवान मौके पर ही दम तोड़ गए। इतिहास के पन्नों में 22 मई, 1987 की रात थी। प्रांतीय सशस्त्र बलों (पीएसी) का URU1493 नंबर का ट्रक चला जा रहा था। थ्री नॉट थ्री राइफल लिए 19 जवान दूर से ट्रक पर खड़े दिखाई दे रहे थे। जो नहीं दिख रहे थे वो थे ट्रक में सिर नीचे किए बैठे 50 मुस्लिम लड़के। सब के सब घर से अलविदा की नमाज़ अदा करने निकले थे। पीएसी के प्लाटून कमांडर सुरिंदर पाल सिंह 19 जवानों के साथ मेरठ के हाशिमपुरा मोहल्ला पहुंचे। अलविदा की नमाज़ हो चुकी थी। सेना ने पहले से करीब 644 लोगों को पकड़ रखा था। इनमें से हाशिमपुरा के 150 मुसलमान नौजवान थे। इन्हें पीएसी के हवाले कर दिया गया। भीड़ में से औरतों और बच्चों को अलग कर घर भेज दिया ग...

History in 21 may

. . . . . . . . . इतिहास में 21 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान भारत के सबसे युवा प्रधान मंत्री श्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में आत्मघाती हमले में मौत हुई थी। यह हमला श्रीलंका के बागी प्रभाकरन से संबंधित गुट लिटे ने करवाया था।                            दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 20 May

. . . . . . . . . इतिहास में 20 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 20 मई 1956 को बाबा साहेब डाः भीम राव अम्बेडकर ने वायस आॅफ अमेरिका से ‘‘भारत में लोकतंत्र’’ विष्य पर अपना भाषण पढ़ा। बाबा साहेब लोकतंत्रिय ढांचे पर विश्वास रखने वाले नेता थे। अगर बाबा साहेब ना होते तो यकीनन भारत का लोकतंत्र कुछ और ही तरह का होता।                            दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

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मोदीजी कहते रहते हैं मैं देश नहीं बिकने दूंगा। भला अब देश बिकने में कौन सी कसर बाकी है ?

History in 19 May

. . . . . . . . . इतिहास में 19 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 19 मई 1910 को महाराष्ट्र के बारामती, जिला पुणे में आजाद भारत के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे का जन्म हुआ था। उसने नारायण आपटे और 6 लोगों के साथ मिलकर महात्मा गांधी की हत्या की योजना बनाई। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में वो अपने मंसूबों में सफल हुआ। आज ही के दिन 19 मई 1950 को कालेज खोलने के संबंध में बाबा साहेब अम्बेडकर हैदराबाद गए। बोट कलब में बोलते उन्होंने कहा कि धर्म निरपेक्षता का अर्थ धर्म को खत्म करना कदाचित नही। है। {स्रोत: डाः अम्बेडकर जीवन और मिशन, लेखक लाहौरी राम बाली, पेज 265} आज ही के दिन 19 मई 2000 को फिजी में भारतिय मूल के प्रधानमंत्री महेंन्द्र चैधरी की सरकार को सात नकाबपोश सशस्त्र व्यक्तियों द्वारा तख्तापलट किया गया।                                                दर्शन सिंह बाजवा       ...

History in 18 May

. . . . . . . . . इतिहास में 18 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 18 मई 1974 को श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में राजस्थान के पोखरण में भारत द्वारा अपना पहला भूमिगत परमाणु बम परीक्षण किया गया था। उस दिन बुद्ध जयंती थी। इसलिए इस परीक्षण को स्माइलिंग बुद्धा का नाम दिया गया। कैसी गहरी चाल चलते हैं मनुवादी लोग कि विनाश के बीज को शान्ति के दूत बुद्धा का नाम देने लगे। गूगल पर पहले प्रमाणू परीक्षण के बारे में सर्च करने पर आपको जो मिलता है वो इस तरह है -अंतत: मचान के पास मौजूद लाउड स्पीकर से उल्टी गिनती शुरू हुई। सेठना और रमन्ना ने ट्रिगर दबाने का गौरव प्रणव दस्तीदार को दिया। जैसे ही पाँच की गिनती हुई प्रणव ने हाई वोल्टेज स्विच को ऑन किया। दस्तीदार के पैरों से ज़मीन निकल गई जब उन्होंने अपनी बाईं तरफ़ लगे इलेक्ट्रीसिटी मीटर को देखा। मीटर दिखा रहा था कि निर्धारित मात्रा का सिर्फ़ 10 फ़ीसदी वोल्टेज ही परमाणु डिवाइस तक पहुँच पा रहा था। उनके सहायकों ने भी ये देखा। वो घबराहट में चिल्लाए, "शैल वी स्टॉप ? शै...

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सरकार के कुछ फैसले ही बता देते हैं कि वे किसके लिए काम करती है। डिफाल्टर उद्योगपतियों का 68 हजार करोड़ रुपिया माफ करना, अमीरों के बच्चों को घर तक पहुंचाने के लिए बसों का प्रबंध करना, निठल्ले पुजारियों को करोड़ों की मदद देना और दूसरी तरफ गरीब मजदूरों के लिए कुछ भी नहीं करना, उलटा उन्हें पुलिस से पिटवाना और आठ घंटे काम की बजाय बारह घंटे करना साबित करता है कि सरकार जो कुछ कर रही है सोच समझकर और जानबूझकर कर रही है। ऐसी सरकार एक मिनट के लिए भी नहीं चलनी चाहिए। इन तस्वीरों को देखकर दो मिनट के लिए ठंडे दिल से सोचना कि ये सब लोग गरीब हैं। लॉकडाऊन में अगर सबको तंगी है तो इनमें कोई अमीर क्यों शामिल नहीं है।

History in 17 May

. . . . . . . . . इतिहास में 17 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 17 मई 1762 को सिक्खों ने सरहिंद पर हमला करके वहां के सूबेदार ज़ैन खां से 50,000 रूः नजराना वसूल किया। उसने अपने हिंदू जरनैल लक्षमी नारायण की सलाह पर सूबेदार ने वापिस जाते सिक्खों पर हमला करके अपना पैसा छीन लिया। लेकिन सिक्खों ने दोबारा हमला करके ज़ैन खां को हराया और उसका सामान लूटा। इस समय अहमद शाह अबदाली लाहौर में था। वो सिक्खों की दिलेरी से डर गया क्योंकि थोड़े दिन पहले ही वो एक बड़े हमले में 25,000 सिक्खों को कत्ल करके गया था। इतनी बड़ी संख्या में मारे जाने के बाद भी सिक्खों ने हमला करने की जुरअत की थी।                                                              दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

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औरैया में दिल्ली से गोरखपुर जा रहे 23 मजदूरों की सड़क हादसे में दर्दनाक मौत 15 घायल किसी को कोई फर्क नहीं पड़े न पड़े इतिहास याद रखेगा

History in 16 May

. . . . . . . . . इतिहास में 16 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 16 मई 1765 को सिक्ख फौजें लाहौर शहर में दाखिल हुई थीं। 10 अप्रैल के दिन सरबत्त खालसा के इकट्ठ में सिक्खों ने लाहौर पर कब्जा करने का गुरमता पास किया था। जब यहां का सूबेदार काबुली मल दो हजार डोगरों की भर्ती के लिए जम्मू गया तब मौका देख कर सिक्खों ने शहर पर हमला कर दिया। मामूली लड़ाई के बाद ही किले पर सिक्खों का कब्जा हो गया। आज ही के दिन यानि 16 मई 1946 को कैबिनेट मिशन ने एक सटेट पत्र छाप कर अपने फैसले उजागर किये। इसके अनुसार प्रादेश्क सरकारें, विधान साज सभा और आर्जी सरकार, इनके बारे में ब्याख्या की गई थी। मिशन के ऐलान में अनुसूचित जातियों की मांगों का कोई वर्णन नहीं था। {स्रोत: डाः अम्बेडकर जीवन और मिशन, लेखक लाहौरी राम बाली, पेज 227} आज ही के दिन यानि 16 मई 2008 को उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों के स्नातकोत्तर पाठयक्रमों में 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा पर रोक के कोलकाता उच्च न्यायालय के निर्णय को खारिज किया था।        ...

History in 15 May

. . . . . . . . . इतिहास में 15 मई . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 15 मई 1881 को दलित पिछड़े वर्गों की शिक्षा का विरोध करते हुए कांग्रेस के बड़े नेता बाल गंगाधर तिल्क ने अपने मराठा अखबार में कहा था, "आप किसान के बेटे को हल चलाने, तेली के बेटे को तेल निकालने, लुहार के बेटे को धौंकनी से, मोची के बेटे को रांबी आर के काम से पकड़ कर आधुनिक शिक्षा देने के लिए ले जायोगे और लड़का अपने पिता के पेशे की अलोचना करना सीखकर आएगा। उसको अपने खानदानी और पुराने पेशे का सहयोग नहीं मिलेगा। ऐसा करने पर वो रोजगार के लिए सरकार की तरफ देखेगा। आप उसको उस माहौल से अलग कर दोगे जिससे वो जुड़ा हुआ है, खुश है और उनके लिए उपयोगी है। जो उनपे निर्भर है। उनकी बहुत सी चीजों से आप उनको दूर कर दोगे।" मतलब कि तिलक जी चाहते थे कि हर व्यक्ति अपना पुश्तैनी काम करता रहे। यानि कि वे मनुस्मृति के आधार पर व्यवस्था चाहते थे। ये तिलक जी ही थे जिन्होंने हमारे वोट के अधिकार का विरोध करते हुए कहा था कि "मुझे नहीं मालूम ये तेली, तंबोली, मोची और कुनबी संसद में...

History in14 May

. . . . . . . . . इतिहास में 14 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 14 मई 1710 को बाबा बंदा सिंह बहादुर जी की कमान में सिखों ने सरहिंद पर कब्जा  कर सिख राज की स्थापना की थी। इससे दो दिन पहले सिख फौज ने 12 मई को चप्पड़चिड़ी की जंग में सूबेदार वजीर खान और उसके दीवान सुच्चा नंद को लड़ाई में मार दिया था। बंदा सिंह ने अब सतलुज से यमुना तक के क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था और आदेश दिया था कि भूमि का स्वामित्व किसानों को दिया जाए, जिससे वे सम्मान और आत्मसम्मान के साथ जीवन यापन कर सकें। आज ही के दिन यानि 14 मई 1992 को भारत ने तमिल टाईगर्स के नाम से मशहूर श्रीलंकाई एलटीटीई पर प्रतिबंध लगाया था। भारत के अतिरिक्त कई अन्य देशों ने भी तमिल टाईगर्स पर प्रतिबंध लगाया।                             दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 13 May

. . . . . . . . . इतिहास में 13 मई . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 13 मई 1920 को शाहूजी महाराज कोल्हापुर के दरबार की ओर से जबरी मजदूरी के विरुद्ध एक हुक्म जारी किया गया कि कोई व्यक्ति पिछड़ी श्रेणियों से जबरदस्ती मजदूरी नहीं करवा सकता। किसी से जबरी काम नहीं करवाया जा सकता, ना ही मांग {अनुसूचित जाती} को रस्से देने के लिए मजबूर किया जा सकता है। आगे लिखा कि जो भी इस हुक्म की अदूली करेगा, उसको सख्त सजाएं दी जाएंगी। इसलिए विरोधी और जातिवादी लोग घृणा से शाहू जी को महारों का महाराजा कहते हैं। आज ही के दिन यानि 13 मई 1938 को बाबा साहेब कोचन जिले के दौरे पर रवाना हुए। वह कोहलापुर से कंचावली गए। जहां उन्होंने अम्बेडकर नगर नाम के एक विशाल पंडाल में पिछड़े वर्गों की एक भारी कान्फ्रेंस को संबोधन किया। अपने भाष्ण में बाबा साहेब ने सम्मान से जीने का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि अगर उनके द्वारा विधान सभा में खोती सिस्टम {एक तरह की बेगारु प्रथा} के खात्मे के लिए पेश किया हुआ बिल फेल हुआ तो फिर उनको मोर्चा लगाने को तैयार रहना चाहिए। {स्र...

History in 12 May

. . . . . . . . . इतिहास में 12 मई . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 12 मई 1666 को पुरंधर की संधि के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे थे। संधि के पश्चात औरंगजेब ने अपने जन्मदिन के मौके पर छत्रपति शिवाजी को आगरा आने का न्योता दिया तो राजा जयसिंह के काफ़ी समझाने व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने के बाद शिवाजी महाराज आगरा जाने के लिए राज़ी हो गए। 12 मई को औरंगज़ेब के जन्मदिन का जश्न होना था। छत्रपति शिवाजी आगरा पहुंचे। इस दौरान उन्हें राजा विट्ठलदास की हवेली में कड़े पहरे में क़ैद कर लिया गया। औरंगज़ेब ने पूरी हवेली में पांच सुरक्षा चक्र बना दिए। हवेली में कुछ गिने चुने लोगों को ही आने की इज़ाज़त थी। शिवाजी को एहसास हुआ कि वो अब फ़ंस चुके हैं। फिर एक अछूत मेहतर उन्हें मिठाई और फलों की टोकरी में बिठाकर हवेली से बाहर निकाल लाया। अब देखिए हिंदू सम्राट हिंदू सम्राट की रट लगाने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि शिवाजी महाराज को औरंगजेब के पास भेजकर बंदी बनाने वाले लोग ऊंची जाति हिंदू थे और अपनी जान पर खेलकर उन्हें छुड़ाकर ला...

History in 11 May

. . . . . . . . . इतिहास में 11 मई . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 11 मई 1888 को महात्मा ज्योतिबा फूले जी को शिक्षा और समाज सेवा में उनकी जिंदगी भर की 40 साल की सेवा के बदले ‘महात्मा’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। भारत के इतिहास में यह पहली बार हो रहा था कि किसी व्यक्ति को आम लोगों की तर्फ से महात्मा की उपाधि दी गई थी। आज ही के दिन यानि 11 मई 1998 को भारत ने राजस्थान के पोखरण में तीन परमाणु परीक्षण करने का ऐलान किया। इस दिन बुद्ध जयंती थी। बुद्ध को पूरी दुनिया में शांति दूत के तौर पर माना जाता है लेकिन भाजपा सरकार ने जानबूझकर इसी दिन परमाणु परीक्षण किये। आज ही के दिन यानि 11 मई 2007 को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने बहुमत हासिल किया और पार्टी नेता बहन मायावती ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली।                             दर्शन सिंह बाजवा                       ...

History in 10 May

. . . . . . . . . इतिहास में 10 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 10 मई 1753 को जाट महाराजा सूरजमल ने दिल्ली को लूटा था। उन्होंने मुख्यतया बड़े लेवल पर दो बार दिल्ली पर आक्रमण किया था व उसे जीता। एक बार 1753 में जिसकी हम बात कर रहे हैं और एक बार 1763 में। वैसे उन्होंने दिल्ली पर कुछ अन्य आक्रमण भी किये थे। सुरजमल महाराज ने दिल्ली के खिलाफ युद्ध की रणनीति बनानी शुरू कर दी। महाराजा सुरजमल के हौसले को देखकर मुगल बादशाह घबरा गया उसने अपने एक वकील महबूब द्दीन को औरंगाबाद से मलहराव होल्कर को बुला लाने के लिए भेजा। लेकिन पलवल के निकट रास्ते में ही उसे महाराजा सूरजमल के सैनिकों ने पकड़ कर बंदी बना लिया। फिर महाराजा सूरजमल ने मोर्चा संभाला और 9 मई को पुरानी दिल्ली की अनाज मंडी पर हमला कर दिया ताकि मुगलों की रसद राशन की लाइन टूट जाये। उनके सेनापति राजेन्द्र गिरी गोंसाई व जाट सैनिकों ने प्रातः 10 मई को अनाज मंडी पर कब्जा कर लिया। इसी पहली जीत की खुशी में हर वर्ष दिल्ली विजय दिवस मनाया जाता है। महाराजा सूरज मल की लूट कोई डाका न...

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिव राज चौहान ने उद्योगपतियों के लाभ के लिए श्रमिकों का शोषण शुरू कर दिया है।  बाबा साहिब अंबेडकर ने मजदूरों के काम करने के समय को 12 घंटे से घटाकर 8 घंटे कर दिया था, लेकिन आज यह मध्य प्रदेश से फिर से शुरू होने जा रहा है, देश में रहने वाले लोगों को वापस गुलामी की ओर धकेला जा रहा है।

Aurangabad train accident

भारतीय रेलवे ने जानकारी देते हुए बताया है कि मालगाड़ी के लोको पायलट ने ट्रेन को रोकने की काफी कोशिश की थी, अन्ततः मजदूर ट्रेन की चपेट में आ गए. औरंगाबाद में ट्रेन की पटरी पर सो रहे मजदूरों (Migrant Workers) को नींद में ही मौत आ गई। मालगाड़ी (Train run over Migrant workers) से कटकर करीब 16 मजदूरों की मौत हो गई। मरने वालों में कई बच्चे भी शामिल हैं।

Latest news update

विशाखापट्टनम में गैस लीक से आठ लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग घायल है, इस हादसे में मारे गए लोगों को नमन और घायलों को शीघ्र स्वस्थ्य होने की कामना करते है..

Buddha Purnima.

देश विदेश में रहने वाले सभी साथियों को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏🏻नमो बुद्धाय जय भीम🙏🏻

History in 7 May

. . . . . . . . . इतिहास में 7 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 7 मई 1989 को भारतिय मूल के लेखक सलमान रश्दी के खिलाफ ईरानी फ़तवे के बाद 1989 में ब्रिटेन और ईरान के बीच राजनयिक सम्पर्क टूट गया था। रश्दी ब्रिटिश नागरिक है। उसने शैतान की आयतें नामक पुस्तक लिखी थी। इससे मुस्लिम समुदाय बहुत ज्यादा नाराज था। ईरान के धार्मिक नेता आयतुल्लाह खुमैनी ने रश्दी के सिर पर इनाम घोषित किया था। आज ही के दिन यानि 7 मई 2002 को गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ प्रायोजित हिंसा पर अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने गम्भीर चिंता जताई थी। इस हिंसा (कत्लेआम) में पंद्रह सौ के करीब मुसलमानों को मार दिया गया था।                             दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 6 May

. . . . . . . . . इतिहास में 6 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 6 मई 1879 को उत्तर प्रदेश के ग्राम उमरी, पोस्ट सिरसागंज, जिला मैनपुरी में स्वामी अछूता नंद जी का जन्म हुआ था। स्वामी अछूता नंद जी बाबा साहब अंबेडकर जी के साथी थे। अछूतानंद जी ने बाबा साहब के सुझाव पर दलितों के लिए पृथक निर्वाचन के संघर्ष में उनका साथ दिया। 24 सितंबर 1932 को जब येरवड़ा जेल में गांधी जी और बाबा साहब के बीच पूना पैकेट नामक समझौता हुआ था उस पर स्वामी अछूता नंद जी के भी हस्ताक्षर थे। स्वामी जी और बाबा साहब के बीच वर्ण-जाति व्यवस्था और दलितों के मुक्ति के प्रश्न पर गंभीर विचार-विमर्श भी हुआ। दोनों की पहली मुलाकात 1928 में तत्कालीन बंबई में ‘आदि हिन्दू’ आंदोलन के राष्ट्रीय अधिवेशन में हुई थी। दोनों नेताओं ने दलितों की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर विचार किया था। आज ही के दिन यानि 6 मई 1922 को शाहू जी महाराज बड़ौदा की बंबई में प्रीनिरवाण हुआ था। उन्होंने ब्राहमण वर्ग के विरोध के बावजूद निम्न वर्ग को 1902 में सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी आरक्...

History in 5 May

. . . . . . . . . इतिहास में 5 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 5 मई 1723 को बढ़ई (पंजाबी में तरखाण) जाति में महान सिक्ख जरनैल महाराजा जस्सा सिंह रामगढ़िया का जन्म हुआ था। उस द्वारा श्री दरबार साहेब की रक्षा के लिए किला राम रौणी बनवाने के कारण उनकी जाति खुद को रामगढ़िया कहलाने लगी। अपनी मिसल की सरदारी से वो एक दिन बादशाह बना। अगर जस्सा सिंह को सिक्खों की कमान मिल जाती तो इतिहास कुछ और होता क्योंकि वो काबिल नेता था। लेकिन जातिवादी लोगों ने उसकी पेश नहीं जाने दी। 5 मई 1818 को प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ था। रूस और चीन जैसे कई देशों ने मार्क्स के सिद्धांत को अपनाया लेकिन जातीवादी भारत में कार्ल मार्क्स का सिद्धांत सफल नहीं हो सका। 5 मई 2010 को राजस्थान सरकार द्वारा गुर्जरों को 1 प्रतिशत आरक्षण तत्काल और 4 प्रतिशत का बैकलॉग रखने के समझौते के बाद गुर्जरों ने आंदोलन समाप्त कर दिया था। लेकिन यह समझौता सिर्फ समझौता ही रहा। इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले किरोड़ी लाल बैंसला...

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टीवी चैनलों पर एक बुरी खबर आ रही है। कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश, सब इंस्पेक्टर शकील काजी (J&K Police)....ये सभी बहादुर योद्धा हाल में छिंदवाड़ा, कश्मीर में देश के लिए अपनी जान न्योछावर करके इस दुनिया से चले गए हैं। इन्होंने जो लड़ाई लड़ी वो देश के नाम पर थी लेकिन इनके पीछे इनके परिवार भी होंगे। बीवी बच्चे होंगे, बूढ़े मां बाप होंगे। मरने के बाद इनके परिवारों को क्या मिलेगा ? बस कुछ रुपये या कोई और छोटी मोटी सहूलियत। क्या इससे किसी महिला का सुहाग, बच्चों के बाप और बूढ़े मां बाप को बुढ़ापे का सहारा मिल सकता है ? कभी नहीं। खैर इनके परिवारों की बात छोड़ भी दें, जिस वतन के नाम पर ये लोग अपनी जान तक कुरबान कर गए क्या वो सलामत रह पाएगा ? मुझे लगता है इसकी भी कोई गरंटी नहीं है। देश को नुकसान पहुंचाने वाले सिर्फ़ वही लोग नहीं जिनके हाथों में बंदूकें हैं और वो बार्डर के पार खड़े हैं या कहीं जंगल में छुपे हुए हैं। देश को तो ज्यादा खतरा उन लोगों से है जो सत्ता की चाबी अपने हाथ में रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। आपको याद होगा कि कुछ समय पहले जम्मू कश्...

History in 4 May

. . . . . . . . . इतिहास में 4 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 4 मई 1799 को अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए मैसूर के हुकमरान टीपू सुलतान की श्रीरंगापट्टण में मौत हुई थी। टीपू सुलतान भारत के कुछ चुनिंदा शासकों में से हैं जो अंग्रेजों से ना डरे, ना उनके सामने झुके बल्कि युद्ध में मुकाबिला करते हुए वीरगती को प्राप्त हुए। उस वक्त के गजट से निकले तथ्य इसकी गवाही देते हैं कि टीपू सुलतान ने मंदिरों और प्रतीकों की भी रक्षा की। राजनीतिक हितों के मद्देनजर भाजपा टीपू सुल्तान की जयंती मनाने का विरोध करती रही है लेकिन वहां के लोग उसे शेर-ए-मैसूर के नाम से जानते हैं। वर्तमान इतिहासकार मानते हैं कि भारत में मिसाइल या राॅकेट टेक्नोलाॅजी का प्रारंभिक ज्ञान टीपू और उनके पिता हैदर अली का ही लाया हुआ है। आज ही के दिन यानि 4 मई 1946 को जनरल मोहन सिंह को लाल किले से रिहा किया गया था। ये वो शख्स था जिसने 1941 को मलाया में आजाद हिंद फौज का गठन किया था। उसमें 55000 जवान थे। जब गिरफतारी के समय मोहन सिंह ने इसे तोड़ा उस समय 45000 की फौज थी। सु...

History in 3 May

. . . . . . . . . इतिहास में 3 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 3 मई 1718 को बदर सिंह के घर जस्सा सिंह आहलूवालिया का जन्म हुया था। अभी जस्सा सिंह पांच साल का हुया था कि उसके पिता की मौत हो गई। जस्सा सिंह अपनी माता के साथ दो तारा बजा कर कीर्तन किया करता था। एक दिन नवाब कपूर सिंह ने उसकी मां से उसे पंथ के लिए मांग लिया। उस मां का भी जिगरा देखो जिसका पती मर चुका था। इकलौता बेटा ही उसका सहारा था, पर फिर भी उसने इन्कार नहीं किया और बेटे को पंथ के हवाले कर दिया। यही जस्सा सिंह आगे चल कर बादशाह बना। उसने दिल्ली पर भी कब्जा किया। उसे सुल्तान-उल-कौम भी कहा जाता है। आज ही के दिन यानि 3 मई 2002 को बसपा सुप्रीमो बहन मायावती तीसरी बार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री बनी थी।                             दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 2 may

. . . . . . . . . इतिहास में 2 मई . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 2 मई 1757 को तैमूर लंग ने श्री दरबार साहिब अमृतसर को ढहाया था। इस कहानी की शुरुआत तैमूर के पिता अहमद शाह अब्दाली के जनवरी 1757 में भारत पर हमले से शुरू होती है। जब वो दिल्ली को लूट कर 28000 गाड़ियों पर और घोड़े खच्चरों पर लाद कर बहुत सा धन दौलत ले जा रहा था। रास्ते में सिक्ख फौजों ने उस पर हमले करके काफी ख्जाना लूट कर उसका वजन हल्का कर दिया। इसका बदला लेने के लिए तैमूर ने पंजाब पर हमला किया। उसने गुस्से में आज के दिन सिक्खों के धार्मिक स्थान श्री दरबार साहिब को ढहा दिया और अमृतसर के पवित्र सरोवर को मल्वे से पूर दिया। आज ही के दिन यानि 2 अप्रैल 1949 को मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या के मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। उनकी हत्या में संघ से संबंधित नाथूराम गोडसे के अलावा कुछ और लोग भी नामजद थे। लेकिन वो शक का लाभ लेते हुए बरी हो गए। आज ही के दिन यानि 2 अप्रैल 1996 को प्रसिद्ध तांत्रिक चंद्रास्वामी को धोखाधड़ी के आरोप में तिहाड़ जेल की सज़ा सुनाई गयी थी। चं...

History in 1 May

.  .  .  .  .  .  .  .  .  ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ 1 ਮਈ.  .  .  .  .  .  .  .  .  .  - - - - - - - - * - * - * - * - * - * - * - * - * - * - * - * - - - - - - - - -  ਇਸ ਦਿਨ ਯਾਨੀ 1 ਮਈ 1886 ਨੂੰ ਪੂਰੇ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਚ ਲੱਖਾਂ ਮਜ਼ਦੂਰ ਇਕਜੁੱਟ ਹੋ ਗਏ ਅਤੇ ਆਪਣੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਹੜਤਾਲ ਤੇ ਚਲੇ ਗਏ।  ਇਸ ਦਿਨ, ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਦੇਸ਼, ਅਮਰੀਕਾ ਦੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਲਕਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਬਗਾਵਤ ਕੀਤੀ.  ਉਹ ਸੜਕਾਂ ਤੇ ਚਲੇ ਗਏ।  ਉਥੇ ਦੀਆਂ ਕੰਪਨੀਆਂ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰ ਰਹੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਨੇ ਕੰਮ ਦੇ ਘੰਟਿਆਂ ਨੂੰ ਘਟਾ ਕੇ ਅੱਠ ਕਰਨ ਦੀ ਲੰਬੀ ਮੰਗ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੰਮ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ।  ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ 4 ਮਈ ਨੂੰ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨਕਾਰੀ ਵਰਕਰਾਂ 'ਤੇ ਅੰਨ੍ਹੇਵਾਹ ਗੋਲੀਆਂ ਚਲਾਈਆਂ।  ਇਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਦਰਜਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ।  ਪਰ ਕੁਝ ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਦੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਮੰਨ ਲਈਆਂ ਗਈਆਂ।  ਫਿਲਹਾਲ ਅੱਠ ਘੰਟੇ ਦੀ ਸ਼ਿਫਟ ਇੱਥੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ.  ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਵਰਕਰ ਇੱਕ ਵਾਰ ਫਿਰ ਸੰਨ 1889 ਵਿੱਚ ਪੈਰਿਸ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋਏ.  ਇਸ ਨੂੰ ਅੰਤਰ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸਮਾਜਵਾਦੀ ਕਾਨਫਰੰਸ ਦ...