. . . . . . . . . इतिहास में 12 मई . . . . . . . . .
- - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - -
आज के दिन यानि 12 मई 1666 को पुरंधर की संधि के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे थे। संधि के पश्चात औरंगजेब ने अपने जन्मदिन के मौके पर छत्रपति शिवाजी को आगरा आने का न्योता दिया तो राजा जयसिंह के काफ़ी समझाने व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लेने के बाद शिवाजी महाराज आगरा जाने के लिए राज़ी हो गए। 12 मई को औरंगज़ेब के जन्मदिन का जश्न होना था। छत्रपति शिवाजी आगरा पहुंचे। इस दौरान उन्हें राजा विट्ठलदास की हवेली में कड़े पहरे में क़ैद कर लिया गया। औरंगज़ेब ने पूरी हवेली में पांच सुरक्षा चक्र बना दिए। हवेली में कुछ गिने चुने लोगों को ही आने की इज़ाज़त थी। शिवाजी को एहसास हुआ कि वो अब फ़ंस चुके हैं। फिर एक अछूत मेहतर उन्हें मिठाई और फलों की टोकरी में बिठाकर हवेली से बाहर निकाल लाया। अब देखिए हिंदू सम्राट हिंदू सम्राट की रट लगाने वाले अच्छी तरह से जानते हैं कि शिवाजी महाराज को औरंगजेब के पास भेजकर बंदी बनाने वाले लोग ऊंची जाति हिंदू थे और अपनी जान पर खेलकर उन्हें छुड़ाकर लाने वाले अछूत थे।
आज ही के दिन यानि 12 मई 1945 को भारत के 37वें मुख्य न्यायाधीश के. जी. बालकृष्णन का जन्म हुआ था। बालकृष्णन पहले जज थे जो दलित समाज में पैदा होकर इस कुर्सी तक पहुंच सके थे। उनके बाद कोई दूसरा यहां तक नहीं पहुंच पाया। बालकृष्णन जी को फर्जी केसों में भी उलझाया गया।
आज ही के दिन यानि 12 मई 1956 को बाबा साहेब डाः भीमराव अम्बेडकर जी ने बी.बी.सी. दिल्ली स्टेशन से अपना भाष्ण ‘‘मैं बुद्ध धम्म को क्यों पसंद करता हूं?’’ पढ़ा था। बुद्ध धम्म के प्रसार के लिए बाबा साहेब ने पूरा जोर लगा दिया। भारत में आज जो बुद्ध धम्म दिखाई देता है इसमें बाबा साहेब का ही ज्यादा योगदान है। वरना विरोधियों ने तो इसे खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
दर्शन सिंह बाजवा
संपादक अंबेडकरी दीप


टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें