. . . . . . . . . इतिहास में 27 मई . . . . . . . . . .
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आज के दिन यानि 27 मई 1710 को बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद पर कब्जा करने के बाद किले के बाहर आम लोगों का इकट्ठ बुलाया और लोकराज का ऐलान किया था। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि आज से जमीन का मालिक सिर्फ काशतकार होगा। उन्होंने जमींदारी की प्रथा को खत्म कर दिया। यह भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का कोई पहला बादशाह था जिसने जगीरदारी का खात्मा किया। बंदा सिंह ने जो सिक्का जारी किया उस पर उनके खुद के नाम की बजाय गुरू नानक और गुरू गोबिंद सिंह का नाम लिखा हुया था।
आज ही के दिन 27 मई 1935 को बाबा साहेब डाः अम्बेडकर की पत्नी (माता) रमाबाई का निरवाण हुआ था। बाबा साहेब की तरक्की में उनका बहुत योगदान था। बाबा साहेब तो संघर्षों में रहते थे और वो सख्त मेहनत करके घर का खर्चा चलाती थीं। इस लिए उनकी मौत के बाद बाबा साहेब ने दुखी हो कर सन्यासी बनने का फैसला कर के गेरूए बस्त्र धारण कर लिए थे। दस हजार से ज्यादा लोग माता रमाबाई की अर्थी के साथ गए। डाः अम्बेडकर की उस समय की मानसिक अवस्था बयान से बाहर थी। बाबा साहेब का अपनी पत्नी के साथ गहरा प्यार था। उनको विश्व प्रसिद्ध महांमानव बनाने में उन्हीं का हाथ था।
आज ही के दिन यानि 27 मई 1964 को देश के पहले प्रधान मंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू का निधन हुआ था।
दर्शन सिंह बाजवा
संपादक अंबेडकरी दीप


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