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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

History in 30 April

. . . . . . . . . इतिहास में 30 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 30 अप्रैल 1030 को गजनी के सुलतान महमूद गजनवी का निधन हुआ था। महमूद गजनवी ने 971 से 1030 AD तक शासन किया। वह सुबक्त्गीन का पुत्र था। भारत की  धन-संपत्ति से आकर्षित होकर, गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया। उसके आक्रमण का मुख्य मकसद भारत की संपत्ति को लूटना था। साल 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था। अरब यात्री अल-बरुनी ने अपने यात्रा वृतान्त में लिखा है कि गजनवी ने करीब 5 हजार साथियों के साथ इस मंदिर पर हमला किया था। इस हमले में गजनवी ने मंदिर की संपत्ति लूटी और हमले में हजारों लोग भी मारे गए थे। कहा जाता है कि लाखों यात्री हर वर्ष इस मंदिर के दर्शन करने के लिए इकट्ठा होते थे। यहां सैंकड़ों देवदासियां रखी हुई थीं। इस मंदिर की लूट से महमूद गजनवी को लगभग दो करोड़ दीनार प्राप्त हुए। इसके अलावा महमूद गजनवी के बारे में Mr Yadunandan Lal Lodhi का लिखा हुआ एक आर्टिकल प्रस्तुत करता हूँ। उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा। महमूद गजनवी ने...

News Update

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होये। आर एस एस ने भारत में नफरत की जो फसल बोई है उससे भारत के भाईचारे को तो नुकसान हुआ ही है, विदेशों में बिजनेस कर रहे लोगों को भी नुकसान हुआ है। यह एक खबर आई है दुबई की। वहां उद्योगपति बी.आर.शेट्टी की सभी कंपनियों को बलैक लिस्ट में डालकर उनके सभी खाते इसलिए सीज कर दिये क्योंकि उनका संबंध आर एस एस से था।

History in 29 April

. . . . . . . . . इतिहास में 29 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 29 अप्रैल 1638 को दिल्ली में लाल किले की नींव रखी गयी। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाल किले का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। लाल किले के निर्माण में करीब 10 साल (1638-1648) का वक्त लगा। तब उसका नाम किला-ए-मुबारक था। लाल रंग के बलूआ पत्थर से बने होने के कारण इसका नाम लाल किला पड़ा। इसके अंदर मौजूद दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, खास महल, हमाम, नौबतखाना, हीरा महल और शाही बुर्ज यादगार इमारतें हैं।लाल पत्थर से बने इस किले का आज भी कितना अधिक महत्व है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से ही देश को संबोधित करते हैं। आज ही के दिन यानि 29 अप्रैल 1939 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था। आज ही के दिन यानि 29 अप्रैल 1947 को बाबा साहेब ने अस्पृश्यता (छुआछूत) को अपराध करार दिलाया था। अस्पृश्यता का शाब्दिक अर्थ है - न छूना। इसे सामान्य भ...

News update

देखिये मीडिया ये सब नही दिखायेगा, ये पुणे की आज़म कैम्पस मस्जिद है, लॉकडाउन की वजह से मस्जिदों में नमाज़ बंद है। मस्जिद के ज़िम्मेदारों ने स्थानीय प्रशासन की सहायता से #Covid_19 से जंग के लिए मस्जिद को क्वारंटीन सेंटर बना दिया… यही इंसानियत है, यही इस्लाम और यही मुसलमान हैं💐

History in 27 April

. . . . . . . . . इतिहास में 27 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*- - - - - - - - आज के दिन यानि 27 अप्रैल 1526 को बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी को पानीपत के मैदान में पराजित करके मुगलशाही की शुरुआत की थी। गुरू नानक देव जी ने अपनी बाणी में बाबरबाणी शीर्षक तहत बाबर के हमले का वर्णन किया है। उन्होंने लिखा है : कोई मुगल न होआ अंद्धा किसे ना पर्चा लाया। (गुरु ग्रंथ साहिब,  राग आसा, पन्ना ४१८) मतलब कि जब बाबर हमला करने आ रहा था तो कुछ लोगों को अपनी दैवीय शक्तियों पर भरोसा था और वे कह रहे थे कि हम अपने जंत्र मंत्र से उसे रोक देंगे। उसके रास्ते में ऐसा ताबीज (कागज पर लिखा हुआ) टांग देंगे जिससे बाबर अंद्धा हो जाएगा। लेकिन किसी की भी रूहानी शक्ति ने कोई काम नहीं किया। बाबर मारधाड़ करता हुआ आया और जीत गया। बाबर द्वारा किये गए कत्लेआम के बारे में भी गुरु नानक देव जी ने अपनी बाणी में लिखा है। उन्होंने इसका कारण लिखा है कि यह सब इसलिए हुआ क्योंकि लोग सत्ता के नशे में सदाचार को भूल गए थे और अपनी मस्तियों में गुलतान हो गए थे। तब से लेकर 1857...

In history today

. . . . . . . . . इतिहास में 26 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 26 अप्रैल 1841 को बॉम्बे गैजेट अखबार पहली बार प्रकाशित किया गया था। यह अखबार रेशम के कपड़े पर छपा करता था। कागज पर बाद में छपने लगा था। अब तो कागज से भी आगे जाकर ई-अखबार छपने लगे हैं। समाचार पत्रों के गौरवमयी इतिहास पे यदि थोड़ा गौर किया जाए तो दुनिया का पहला दैनिक समाचार पत्र रोम (इटली) में 59 ईस्वी पूर्व यानि करीब 2100 साल पहले जूलियस सीज़र द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसका नाम उन्होंने ऐक्टा डाईएर्णा (ACTA DIURNA) अर्थात दिन भर की घटनाएं रखा था। उस समय छपाई का कोई साधन न होने के कारण यह समाचार पत्र हाथ से लिखा जाता था। लेकिन यदि प्रिंटिंग प्रेस से छपे पहले समाचार पत्र की बात की जाए तो सन 1605 में प्रकाशित जर्मन अखबार RELATION  का नाम सामने आता है, जिसका सम्पादन जोहान्स कार्लोस किया करते थे। अखबार ने ही बीते वक़्त में सैकड़ों राष्ट्रों में क्रांति की चिंगारी जलाई है। इसलिए बीती सदी के मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने लिखा है- खीं...

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https://youtu.be/yN19fc9OnIM
ओबीसी के आरक्षण पर पहले से ही क्रीमिलेयर लगा कर उनके पंख काट दिये गए थे। अब एससी और एसटी के आरक्षण के भी पंख काटने की तैयारी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इशारा कर दिया है। हमारी भूल ........ कमल का फूल।

In History today

. . . . . . . . . इतिहास में 25 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 25 अप्रैल 1948 को बाबा साहेब अम्बेडकर ने उत्तर प्रदेश के दौरे के समय कानून मंत्री होते हुए भी उन्होंने अपने भाष्ण में कहा था, कांग्रेस एक जलता हुआ घर है। सरकार में मंत्री होते हुए ऐसा बोल देने का हौसला सिर्फ बाबा साहब जैसे नेता ही दिखा सकते हैं। आज ही के दिन यानि 25 अप्रैल 2018 को केंद्रिय जेल जोधपुर में कायम विशेष अदालत ने कथित साधू आसा राम को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार के आरोप में ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी।                             दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप
कोरोना के दौर में सच का आईना दिखाता एक कार्टून।
https://youtu.be/SJck8LhdX_o इस वीडियो को चैनल पर अपलोड करने का उद्देश्य लोगों को सही और सटीक जानकारी प्रदान करना है। ताकि सच्चाई आम लोगों तक पहुंच सके। इस चैनल का मुख्य उद्देश्य इस देश के गरीब, असहाय और दलित लोगों तक बाबा साहिब भीम राव अम्बेडकर जी के विचारों को पहुचाना है ता जो वह अपने अधिकारों को जान सकें और एक ऐसा समाज बना सकें जहां रंग, जाति, नसल, धर्म, लिंग और धन के आधार पर कोई भेदभाव ना हो। जो कि हमारे महान महापुरुषों का सपना था ਇਸ video ਨੂੰ ਚੈਨਲ ਉੱਪਰ upload ਕਰਨ ਦਾ ਮਕਸਦ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਸਹੀ ਅਤੇ ਸਟੀਕ ਜਾਣਕਾਰੀ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਵਾਉਣਾ ਹੈ। ਤਾਂ ਜੋ ਸੱਚ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚ ਸਕੇ। ਇਸ channel ਦਾ ਮੁੱਖ ਮਕਸਦ ਬਾਬਾ ਸਾਹਿਬ ਭੀਮ ਰਾਓ ਅੰਬੇਡਕਰ ਜੀ ਦੇ ਵਿਚਾਰਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਗਰੀਬ, ਲਾਚਾਰ ਅਤੇ ਦੱਬੇ ਕੁਚਲੇ ਲੋਕਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਆਪਣੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਜਾਣ ਸਕਣ ਅਤੇ ਉਹ ਅਜਿਹੇ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਕਰ ਸਕਣ ਜਿੱਥੇ ਰੰਗ, ਜਾਤ, ਨਸਲ ਧਰਮ ਲਿੰਗ ਅਤੇ ਅਮੀਰੀ-ਗਰੀਬੀ ਦਾ ਕੋਈ ਭੇਦਭਾਵ ਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੋਵੇ। ਜੋ ਕਿ ਸਾਡੇ ਮਹਾਪੁਰਖਾਂ ਦਾ ਸੁਪਨਾ ਸੀ Email id: babby.llb.org@gmail.com Facebook page: https://www.facebook.com/AIN-Network-... Website Link: htt...

In history today

. . . . . . . . . इतिहास में 22 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 22 अप्रैल 1980 को बाबू मंगू राम मुग्गोवालिया की मौत हुई थी। बाबू मंगू राम जी की पंजाब की दलित राजनीति में विशेष जगह है। उन्होंने ‘आदि धर्म मंडल’ लहर चला कर दलितों में अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष की रूह फूंकी। उनकी कोशिशों से ही ‘पंजाब लैंड एलीनेश्न एक्ट 1901’ हटा। जिससे अछूत भी जमीनों के मालिक बनने शुरू हुए और उनके सर से बेदखली की तलवार हटी। आज ही के दिन यानि 22 अप्रैल 2011 को गुजरात के आई.पी.एस. अधिकारी संजीव भट्ट ने अपने ब्यान में इस बात का खुलासा किया था कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस जलाए जाने के बाद 27 फरबरी 2002 को एक मीटिंग में मुख्य मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पुलीस अधिकारियों को आदेश दिये थे कि मुस्लमानों को सबक सिखाना जरुरी है, इसलिए दंगाकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना की जाए। अब संजीव भट्ट उम्र कैद की सजा भुगत रहे हैं।                           ...

Today birthday Giani Ditt Singh.

. . . . . . . . . इतिहास में 21 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 21 अप्रैल 1850 को सिख धर्म के एक महान बुद्धिजीवी ज्ञानी दित्त सिंह का जन्म हुआ था। ज्ञानी जी पंजाबी के पहले प्रोफेसर थे और पंजाबी पत्रकारिता के पितामह थे। उन्होंने 51 साल की उम्र तक 52 पुस्तकें लिखीं। वो खालसा कॉलेज अमृतसर के संस्थापक सदस्य थे। ज्ञानी जी ने आर्य समाज के बानी स्वामी दयानंद सरस्वती को विचार चर्चा में हराया था। वो भी एक बार नहीं बल्कि तीन बार। ज्ञानी जी के सवालों का स्वामी दयानंद सरस्वती के पास कोई जवाब नहीं था। लेकिन बहुत ही दुख की बात है कि सिख समाज के लोग उनके नाम पर कोई बड़ी संस्था नहीं बना सके। जबकि हारने वाले के नाम पर लुधियाना में दयानंद मैडीकल कॉलेज (डीएमसी) बनाया गया है। इसके अलावा कितने ही स्कूल और कॉलेज जो उनके नाम पर बने हुए हैं, उनकी तो गिनती ही नहीं है। मन को तब कुछ खुशी हुई जब मैंने हमारे पास के एक गांव अलाल में एक पार्क का नाम ज्ञानी जी के नाम पर देखा। यह पार्क वहां के सरपंच सरबजीत सिंह ने बनवाया था। काश कि सिखों की सब...

Happy birthday to Sant Ram Udasi

ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿ (ਸੰਤ ਰਾਮ ਉਦਾਸੀ) ਜੀ ਦੇ ਜਨਮ ਦਿਨ ਦੀਆਂ ਮੁਬਾਰਕਾਂ  ਇੰਨਾ ਦਾ ਜਨਮ 20 ਅਪ੍ਰੈਲ1939 ਤੋਂ 6 ਨਵੰਬਰ 1986 ਜਿਲ਼ਾ ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਪਿੰਡ ਰਾਏਸਰ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ   ਇਹ ਪੰਜਾਬੀ ਕਵਿ ਤੇ ਗੀਤਕਾਰ ਸੀ। ਉਹ ਅਪਣੇ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਗੀਤ ਆਪ ਉੱਚੀ ਹੇਕ ਗਾਉਂਦੇ ਸਨ। ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਦਲਿਤ ਗਰੀਬ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਜਨਮੇ ਇੰਨਾ ਦਾ ਮਜ਼ਦੂਰ ਵਰਗ ਨੂੰ ਅਹਿਮ ਯੋਗਦਾਨ ਰਿਹਾ  1,ਕੰਮੀਆ ਦਾ ਵਿਹੜਾ 2,ਲਹੂ ਭਿੱਜੇ ਬੋਲ  3,ਚੋਂ ਨੁਕਰੀਆ ਸੀਖਾਂ ਤੇ ਸੈਨਤਾ  ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਕਵਿ ਰਚਨਾਵਾਂ ਹਨ Sant Ram Udasi was one of the major Punjabi poets emerging out of the Naxalite movement in the Indian Punjab towards the late 1960s, writing about revolutionary and Dalit consciousness. Lok Kavi Sant Ram Udasi Memorial Trust was established as a research foundation focusing on the life and works of Sant Ram Udasi.  

In history today

. . . . . . . . . इतिहास में 20 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 20 अप्रैल 1803 को बाबा जस्सा सिंह रामगढ़िया की मौत हुई थी। वो सिक्ख कौम की एक महान हस्ती थे। उन्होंने अमृतसर की रक्षा के लिए एक किला राम रौणी बनवाया था। बाबा जस्सा सिंह बहुत ही नेक, ऊंचे किरदार के मालिक और शक्तिशाली हुकुमरान थे। अगर सभी सिक्खों ने उनकी अगुवाई को कुबूल कर लिया होता तो निस्संदेह आज का इतिहास और होता। लेकिन जातिवाद ने उनकी पेश नहीं जाने दी। आज के ही दिन यानि 20 अप्रैल 1939 को पंजाब के जिला संगरुर {अब बरनाला} के रायसर गांव में पंजाबी लोक कवी संतराम उदासी का जन्म हुआ। उदासी जी एक गरीब और दलित (मजहबी सिख) परिवार में पैदा हुए थे। बचपन से ही उन्हें गीत लिखने और गाने का शौक था। परिवार धार्मिक होने के कारण पहले वे धार्मिक गीत लिखते थे। जब नक्सली लहर चली तो उन्होंने क्रांतिकारी गीत लिखने शुरू कर दिये। उनके गीत ऐसे होते थे कि अपने आप ही लोगों की जुबान पर आ जाते थे। लोक संघर्षों का ऐसा कोई समागम नहीं होता था जहां उदासी के गीत ना गाये जाते हों...

In history today

. . . . . . . . . इतिहास में 19 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 19 अप्रैल 1927 को दामोदर हाल बंबई में श्री एस.बी. पेनडूरकर की अध्यक्षता में एक आम सभा हुई। इसमें बाबा साहब मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। इस अवसर पर बाबा साहेब अम्बेडकर को आर्थिक सहयोग के लिए एक थैली भी भेंट की गई। बाबा साहेब ने उनका धन्यवाद किया और वो थैली बहष्कृत हितकारिणी सभा को दान में दे दी। आज ही के दिन यानि 19 अप्रैल 1931 को बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर ने दलित वर्ग के सभी नेताओं को विचार विमर्श के लिए गोखले शैक्ष्कि सभा के परेल हाल में बुलाया था। सम्मेलन की अध्यक्षता मद्रास के श्री एन. शिवराज ने की और इसमें बंगाल, सी.पी., मद्रास और महाराष्टर के नेताओं ने हिस्सा लिया। हाल के बाहर कुछ शरारतियों ने गड़बड़ करने का प्रयास किया लेकिन अम्बेडकर सेवा दल के वालंटियरों ने उनकी खूब धुलाई की। सेवा दल ने गड़बड़ करने आए शरारतियों को ऐसे भगाया कि उनके नेता श्री दियो रुखकर को बचने के लिए भागकर बाबा साहेब की कार में ही छुपना पड़ा। उदारचित्त बाबा साहे...

Why is the Ravidassia Community going into Christianity?

ਮੇਰੇ ਫੇਸਬੁੱਕ ਫਰੈਂਡ ਅਤੇ ਲੇਖਕ ਸ਼੍ਰੀ ਚਮਨ ਲਾਲ ਚਣਕੋਆ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਵਾਲ 'ਤੇ ਇੱਕ ਸੁਆਲ ਖੜ੍ਹਾ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਸੁਆਲ ਕਾਫੀ ਦਿਲ ਖਿੱਚਵਾਂ ਹੈ। ਸੁਆਲ ਸੀ ਕਿ "ਪੰਜਾਬ 'ਚ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ 'ਤੇ ਰਵਿਦਾਸੀਆ ਭਾਈਚਾਰਾ ਕ੍ਰਿਸ਼ਚੀਅਨ ਬਣ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਬੁੱਧ ਜਾਂ ਸਿੱਖ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ? ਕੁੱਝ ਕਾਰਨਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ  ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।" ਮੈਂ ਇਸ ਸੁਆਲ ਦਾ ਜਵਾਬ ਉੱਥੇ ਹੀ ਦੇਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਆਪਣੀ ਵਾਲ ਤੋਂ ਦੇਣਾ ਠੀਕ ਸਮਝਿਆ। ਮੇਰੀ ਸਮਝ ਅਨੁਸਾਰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਧਰਮ ਨੂੰ ਮੰਨਣਾ ਜਾਂ ਨਾ ਮੰਨਣਾ ਕਿਸੇ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਅਧਿਕਾਰ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਕਿਸੇ ਧਰਮ ਨੂੰ ਮੰਨਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਧਰਮਾਂ ਨੂੰ ਚਿੰਤਾ ਜ਼ਰੂਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸਨੂੰ ਉਸਨੇ ਛੱਡਿਆ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਜਿਹੜੇ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਧਰਮ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਵਾਲੇ ਉਸਤੋਂ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਦੀ ਆਸ ਲਗਾਈ ਬੈਠੇ ਸਨ। ਧਰਮ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਰੱਬ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਦਾ ਵਿਸ਼ਾ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ। ਧਰਮ ਇੱਕ ਸਮਾਜ ਵੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਸਮਾਜ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਲੋੜਾਂ ਵੀ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਇਨਸਾਨ ਦੀਆਂ ਮੁੱਢਲੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਸਿਹਤ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦੀ, ਇੱਕ ਵਿੱਦਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਪਾਠਸ਼ਾਲਾ ਦੀ, ਇੱਕ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੀ ਅਤੇ ਆਮ ਇਨਸਾਨਾਂ ਲਈ ਸਵਰਗਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਣ ਦਾ ਲਾਲਚ ਜਾਂ ਨਰਕ ਵਿੱਚ ਜਾਣ ਦਾ ਡਰ ਵੀ ਬੰਦੇ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਧਰਮ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਮਜ਼ਬੂਰ ਕਰ...

in History today

. . . . . . . . . इतिहास में 18 अप्रैल . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 18 अप्रैल 1913 को बाबा साहेब डा. भीम राव अंबेडकर का बड़ोदा रियासत से अनुबंध हुआ था। बाबा साहब ने शिक्षा प्राप्ति के लिए लंदन जाना था। लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे। इस संबंधी वो बड़ौदा रियास्त के महाराजा सियाजी राव गायकवाड़ को मिले। सियाजी राव ने उच्च शिक्षा के लिए वजीफा मंजूर कर दिया। लेकिन साथ ही शर्त रखी कि वो तीन साल तक राज्य की सेवा करेंगे। बाबा साहब ने यह शर्त मान ली। आज के दिन यानी 18 अप्रैल 1913 को बाबा साहेब ने बड़ौदा राज से तीन साल का अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया था। दर्शन सिंह बाजवा संपादक अंबेडकरी दीप

this is my first blog post

   Life should be grate rather than long.                                                             Dr. B.R. Ambedkar my You Tube Channel:- https://www.youtube.com/channel/UCpV9NUAhq22SttWWVpvRMQQ My Facebook Page:- https://www.facebook.com/AIN-Network-112434457085751/ Website Link:  https://ainnetwork14.blogspot.com/