. . . . . . . . . इतिहास में 29 अप्रैल . . . . . . . . . .
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आज के दिन यानि 29 अप्रैल 1638 को दिल्ली में लाल किले की नींव रखी गयी। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लाल किले का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। लाल किले के निर्माण में करीब 10 साल (1638-1648) का वक्त लगा। तब उसका नाम किला-ए-मुबारक था। लाल रंग के बलूआ पत्थर से बने होने के कारण इसका नाम लाल किला पड़ा। इसके अंदर मौजूद दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, खास महल, हमाम, नौबतखाना, हीरा महल और शाही बुर्ज यादगार इमारतें हैं।लाल पत्थर से बने इस किले का आज भी कितना अधिक महत्व है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से ही देश को संबोधित करते हैं।
आज ही के दिन यानि 29 अप्रैल 1939 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।
आज ही के दिन यानि 29 अप्रैल 1947 को बाबा साहेब ने अस्पृश्यता (छुआछूत) को अपराध करार दिलाया था। अस्पृश्यता का शाब्दिक अर्थ है - न छूना। इसे सामान्य भाषा में 'छूआ-छूत' की समस्या भी कहते हैं। अस्पृश्यता का अर्थ है किसी व्यक्ति या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। ये मान्यता है कि अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते हैं और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है। यहां तक कि पांचगव्य का इस्तेमाल भी करना पड़ सकता है। अंग्रेजों के जाने के बाद भारत के संविधान में अस्पृश्यता की प्रथा के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद १७ के अंतर्गत दर्ज किया गया और इसे एक दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। अनुच्छेद १७ निम्नलिखित है-
'अस्पृश्यता' का अन्त किया जाता है और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया जाता है। 'अस्पृश्यता' से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा जो विधि के अनुसार दण्डनीय होगा।
दर्शन सिंह बाजवा
संपादक अंबेडकरी दीप

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