. . . . . . . . . इतिहास में 26 अप्रैल . . . . . . . . . .
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आज के दिन यानि 26 अप्रैल 1841 को बॉम्बे गैजेट अखबार पहली बार प्रकाशित किया गया था। यह अखबार रेशम के कपड़े पर छपा करता था। कागज पर बाद में छपने लगा था। अब तो कागज से भी आगे जाकर ई-अखबार छपने लगे हैं।
समाचार पत्रों के गौरवमयी इतिहास पे यदि थोड़ा गौर किया जाए तो दुनिया का पहला दैनिक समाचार पत्र रोम (इटली) में 59 ईस्वी पूर्व यानि करीब 2100 साल पहले जूलियस सीज़र द्वारा प्रकाशित किया गया था, जिसका नाम उन्होंने ऐक्टा डाईएर्णा (ACTA DIURNA) अर्थात दिन भर की घटनाएं रखा था। उस समय छपाई का कोई साधन न होने के कारण यह समाचार पत्र हाथ से लिखा जाता था।
लेकिन यदि प्रिंटिंग प्रेस से छपे पहले समाचार पत्र की बात की जाए तो सन 1605 में प्रकाशित जर्मन अखबार RELATION का नाम सामने आता है, जिसका सम्पादन जोहान्स कार्लोस किया करते थे।
अखबार ने ही बीते वक़्त में सैकड़ों राष्ट्रों में क्रांति की चिंगारी जलाई है। इसलिए बीती सदी के मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने लिखा है-
खींचो ना कमानों को न तलवार निकालो;
जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।
यानि जिस काम को तीर-कमान और तलवार जैसे हिंसात्मक हथियारों के बल पर नहीं किया जा सकता है उसी काम को अखबार सरीखे सुलझे हुए माध्यम के द्वारा बखूबी अंजाम दिया जा सकता है। इस बात की गहराई को समझते हुए सवर्ण जातियों ने मीडिया को अपने हाथों में ले लिया है। देश में जितने अखबार निकलते हैं सभी पर उन्हीं लोगों का कब्जा है। भारत के बहुजन समाज की बात करने वाला पूरे देश में एक भी अखबार नहीं है। बहुत ही अफसोस की बात है कि बहुजन समाज के कुछ लोग तो करोड़ों के मालिक हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी अभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
दर्शन सिंह बाजवा
संपादक अंबेडकरी दीप

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