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दक्षिण भारत में पुलिसिया अत्याचार की करूर घटना घटी है। दलित समाज के बाप बेटे को दुकान पंद्रह मिनट लेट तक खोले रखने के जुर्म में पुलिस ने हिरासत में लिया और बेरहमी से पीटकर मार दिया। पर उत्तर भारत में इसका कोई विरोध नहीं हो रहा।  तूतीकोरिन (तूतुकुड़ी) की घटना पर हिंदी पट्टी में चुप्पी ठीक नहीं है। दक्षिण भारतीयों को ये नहीं लगना चाहिए कि हमने उनके संघर्ष में उनका साथ नहीं दिया। ये दूरियां कम करने का वक्त है। पुलिस का टॉर्चर यूपी-दिल्ली कहां नहीं है। इसीलिए साथ दीजिए, लिखिए, बोलिए। जिन्हें नहीं मालूम है कि क्या हुआ, वो जानें।  18 जून की रात को तूतीकोरिन के सांताकुलम क्षेत्र में पुलिस ने दुकानदारों को समय से दुकान बंद करने को कहा। कथित तौर पर  किसी ने पुलिस पर कमेंट पास किया। पुलिस को लगा कि जयराज ने कमेंट मारा। पुलिस #Jayaraj (59) को थाने उठा ले गई। परेशान #EmmanuelBenicks (31) भी अपने पिता के लिए थाने पहुंचा। वहां पुलिस ने दोनों बाप-बेटे को खूब पीटा। यहां ‘पीटा’ बहुत छोटा शब्द है। उनका पुलिस ने सेक्सुअल टॉर्चर किया। मैं हिम्मत कर के विवरण लिख रहा हूं। आपको मालूम तो हो कि ह...

History in 27 June

. . . . . . . . . इतिहास में 27 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 27 जून 1839 को महाराजा रणजीत सिंह की मौत हुई थी। रणजीत सिंह को कशमीरी डोगरों और लाल सिंह और तेज सिंह जैसे ब्राहमणों ने अपने वश में रखने के लिए शराब की लत लगा दी थी। वो बेहद तेज से तेज शराब पीने का आदी हो गया। इसी आदत ने उसको जिस्मानी तौर पर कमजोर कर दिया और गद्दार अपनी मनमानी करते रहे। उसे अधरंग का दौरा पड़ा और उस ने बिस्तर पकड़ लिया। आखिर 27 जून 1839 को उस की मौत हो गई। मौत के बाद गद्दारों ने सिक्ख राज के परखच्चे उड़ा दिए। लाहौर दरबार अंग्रेजों के हाथ चला गया। अगर महाराजा रणजीत सिंह समझदारी से काम लेता और कुर्बानी करने वाले निम्न वर्ग के सिक्खों को मान सम्मान देता तो उसका राज शायद कभी खत्म नहीं होता। आज ही के दिन यानि 27 जून 1935 को बाबा साहेब ने सरकारी लॉ कालेज बंबई के प्रिंसीपल का पदभार सम्हाला था। आज ही के दिन यानि 27 जून 2014 को भवानीगढ़ जिला संगरूर पंजाब में जमीनी अधिकार मांग रहे दलितों पर बिना कुसूर अंधाधूंद लाठीचार्ज हुआ। इन लोगों में सें 41 को अलग अलग धाराय...

History in 26 June

. . . . . . . . . इतिहास में 26 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 26 जून 1874 को राज ऋषि छत्रपति शाहू जी महाराज कोलहापुर का जन्म हुआ था। ब्राहमण वर्ग के विरोध के बावजूद निम्न वर्ग को 1902 में सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण उन्होंने ही दिया था। जब कांग्रेस ने गांधी जी को पार्टी की बागडोर थमाने का फैसला किया तो मुकाबले में बाबा साहेब को नेता के रुप में जनता में उन्होंने ही पेश किया था। उन्होंने अपनी रियासत के गांव मनगांओं में अछूतों की एक सभा की अध्यक्षता की। उन्होंने बोलते हुए कहा कि ’’अंबेडकर के रुप में आपको एक मसीहा मिल गया है। मुझे पूरा भरोसा है कि वो तुम्हारी गुलामी की बेड़ियां चक्नाचूर कर देगा। मेरी जमीर कहती है कि एक दिन ऐसा आएगा जब वो भारत का सबसे बड़ा नेता बन कर चमकेगा। सारे भारत में उसका नाम होगा। देश वासी उसे पसंद करेंगे।’’ आज उनकी बात सच्ची साबित हो रही है। भले ही कोई कांग्रेस या भाजपा का नेता हो वोट लेने के लिए उसे बाबा साहब का नाम लेना ही पड़ता है। आज ही के दिन यानि 26 जून 1975 को श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल...

History in 19 June

. . . . . . . . . इतिहास में 19 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 19 जून 1928 को बाबा साहेब ने डिप्रेसिड कलासिज सोसायटी कायम की थी। इसी महीने अछूत विद्यार्थियों के लिए दो होस्टल खोले। बाबा साहेब की ओर से की गई अपील की वजह से 1928 में ही बंबई के गवर्नर ने अछूतों के लिए पांच होस्टल और खोल दिए। आज ही के दिन यानि 19 जून 1951 को उस समय के राष्ट्रपति डाः राजेंद्र प्रसाद ने मलिंद महाविद्यालय का शिलान्यास रखा था। इसकी उसारी बौद्ध इमारतों जैसी करवाई गई है। विद्यार्थी होस्टल के बाहर धर्म चक्र का महान चिन्ह नागसेन-वन की बेमिसाली को दर्शाए बगैर नहीं रहता। मलिंद महाविद्यालय को बाबा साहेब अपना लाडला बेटा कहा करते थे। वो कई कई सप्ताह औरंगाबाद में गुजारा करते थे। श्रद्धालु मिलने आते तो वो पूछा करते, कैसे आए हो? लोग जवाब देते, दर्शन करने। हूं, दर्शन तो हो चुके, अब वह पत्थरों का ढेर हटायो। यह कहकर बाबा साहेब लोगों को काम पर लगा देते। श्रद्धालुओं को इस तरह सेवा करने का अवसर मिल जाता था। {स्रोत: डाः अम्बेडकर जीवन और मिशन, लेखक लाहौरी राम बाली, पे...

News update

ਇਹਨਾਂ ਭਰਾਵਾਂ ਵੱਲੋਂ ਦਲਿਤ ਵਰਗ ਪ੍ਰਤੀ ਮਾਰੇ ਗਏ ਹਾਅ ਦੇ ਨਾਅਰੇ ਦਾ ਭਰਪੂਰ ਸਵਾਗਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਭਾਵੇਂ ਅਸੀਂ ਸਭ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਸਾਡਾ ਸਮਾਜ ਗੁਰੂ ਸਾਹਿਬਾਨ ਦਾ ਨਾਂਅ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਦੇ ਦਾਅਵੇ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਜੇਕਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਹੈ ਮਨੂੰ ਸਿਮਰਤੀ ਦਾ ਸਿਧਾਂਤ। ਸਾਡਾ ਸਮਾਜ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਤੀਵਾਦੀ ਹੋ ਚੁੱਕਿਆ ਹੈ।  ਇਸ ਜਾਤੀਵਾਦੀ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਜੇ ਕੁੱਝ ਕੁ ਲੋਕ ਸਿਆਣੀ ਗੱਲ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਸ ਦੀ ਕੋਈ ਮਹੱਤਤਾ ਨਹੀਂ। ਫਿਰ ਵੀ ਅਜਿਹੀ ਪਹਿਲ ਦਾ ਸਵਾਗਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਜਦੋਂ ਸੂਬਾ ਸਰਹੰਦ ਵੱਲੋਂ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਨੀਂਹਾਂ ਵਿੱਚ ਚਿਣਨ ਦਾ ਫੁਰਮਾਨ ਜਾਰੀ ਹੋਇਆ ਤਾਂ ਸ਼ੇਰ ਮੁਹੰਮਦ ਖਾਨ ਨਵਾਬ ਮਾਲੇਰਕੋਟਲਾ ਨੇ ਇਸਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਦਿਆਂ ਸਾਹਿਬਜਾਦਿਆਂ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਹਾਅ ਦਾ ਨਾਅਰਾ ਮਾਰਿਆ ਅਤੇ ਸਭਾ ਦਾ ਬਾਈਕਾਟ ਕਰ ਕੇ ਚਲਾ ਆਇਆ। ਭਾਵੇਂ ਉਸਦੇ ਹਾਅ ਦਾ ਨਾਅਰਾ ਮਾਰਨ ਪਿੱਛੋਂ ਵੀ ਸੂਬਾ ਸਰਹੰਦ ਨੇ ਆਪਣਾ ਫੈਸਲਾ ਨਹੀਂ ਬਦਲਿਆ ਅਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ ਪਰ ਅਸੀਂ ਸਭ ਅੱਜ ਵੀ ਜਦੋਂ ਨਵਾਬ ਸ਼ੇਰ ਮੁਹੰਮਦ ਖਾਨ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਤਿਕਾਰ ਸਹਿਤ ਯਾਦ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਇਹਨਾਂ ਲੀਡਰਾਂ ਨੇ ਭਾਵੇਂ ਰਾਜਨੀਤਕ ਪੈਂਤੜੇ ਤੋਂ ਹੀ ਅਜਿਹਾ ਬਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਹੋਵੇ ਫਿਰ ਵੀ ਕਿਸੇ ਨੇ ਪਹਿਲਕਦਮੀ ਤਾਂ ਕੀਤੀ ਹੀ ਹੈ। ਹੋਰਨਾਂ ਲੀਡ...

History in 9 June

. . . . . . . . . इतिहास में 9 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 9 जून 1716 को सिक्खों के पहले बादशाह और दुनिया में पहला लोक राज का ऐलान करने वाले बाबा बंदा सिंह बहादुर को दिल्ली में महरौली में ख़वाजा कुतुबदीन की दरगाह के पास बहुत ही तसीहे दे कर शहीद किया गया था। उनसे पहले उनके छः साल के बेटे अजय सिंह को शहीद किया गया। आज ही के दिन यानि 9 जून 1900 को आदिवासी नायक बिरसा मुंडा शहीद हुए थे। उन्होंने अंग्रेजों और जातीवादी ब्राह्मणों के ख़िलाफ हथियारबंद बहुत बड़ा संघर्ष लड़ा था। जेल में जहरीला खाना दिए जाने से ही उनकी मौत हुई थी। आदिवासी क्षेत्रों में बिरसा मुंडा को भगवान माना जाता है।                             दर्शन सिंह बाजवा                         संपादक अंबेडकरी दीप

History in 8 June

. . . . . . . . . इतिहास में 8 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 8 जून 1707 को औरंगजेब की मौत के बाद दिल्ली के तख्त के लिए हुई जज़ाऊं की जंग में उसके बड़े बेटे मुअज्जम को फतह हासिल हुई थी। यह जंग जो 20 फरवरी 1707 को औरंगजेब की मौत के साथ शुरू हुई थी, एक अहम जंग मानी जा रही थी। मुअज्जम उस समय जमरौद में था और तारा आज़म दक्षिण में था। मुअज्जम ने जीत हासिल करने के लिए सिक्खों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह से संपर्क किया। गुरू साहेब ने उसका साथ दिया और उसने अपने छोटे भाई तारा आज़म को हरा कर जीत हासिल कर ली। बाद में मुअज्जम बहादुर शाह के रूप में वख्यात हुया।  आज ही के दिन यानि 8 जून 1893 को दक्षिण अफ्रीका में फसर्ट कलास का टिकट होने के बावजूद एक अंग्रेज ने गांधी जी को रेल के डिब्बे से बाहर निकाल दिया था। अछूतों शूद्रों की अनदेखी करते रहने वालों को जब खुद इस तरह का अपमान सहना पड़ा तो उन्हें दुख हुआ। आज ही के दिन यानि 8 जून 1922 को बाबा साहेब को कोलंबिया यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की डिग्री मिली।             ...

History in 7 June

. . . . . . . . . इतिहास में 7 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - 1.आज के दिन यानि 7 जून 1932 को बाबा साहेब डाः भीमराव अंबेडकर जी ब्रिटेन के प्रधान मंत्री और दूसरे मंत्रियों को मिलने के लिए लंडन पहुंचे थे और वहां उन्हें अछूतों के जीवन के बारे में जानकारी दी थी। 2.आज ही के दिन यानि 7 जून 1945 को बाबा साहेब ने वायसराय लार्ड वेवल को पत्र लिख कर वायसराय कार्यसाधक काऊंसिल में अछूतों की संख्या के अनुसार उनको नुमाइंदगी ना देने पर रोष प्रकट किया था।  पत्र में डाः अम्बेडकर ने यूं लिखा, सरकार की ओर से कार्यसाधक काऊंसिल में अनुसूचित जातियों को बहुत कम नुमाइंदगी दी जाती है। 9 करोड़ मुस्लमानों के 5 नुमाइंदे, 5 करोड़ अछूतों का एक नुमाइंदा, 60 लाख सिक्खों का एक नुमाइंदा। यह कैसा वचित्र और कुटिल राजनैतिक हिसाब किताब है। काऊंसिल में अनुसूचित जातियों के कम से कम 3 नुमाइंदे जरुर लिए जाने चाहिए। {स्रोत: डाः अम्बेडकर जीवन और मिशन, लेखक लाहौरी राम बाली, पेज 221} 3.आज ही के दिन यानि 7 जून 1983 को 25 साल बाद भोपाल गैस कांड का फैसला आया था। इस में 25000 निर्दोष गरी...

History in 6 June

. . . . . . . . . इतिहास में 6 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 6 जून 1674 को शिवाजी ने एक ब्राहमण गंग भट्ट से तिलक करवा कर खुद को क्षत्रिय घोषित करवाया। 35000 सोने के सिक्के खुद गंग भट्ट ने लिए और 85000 दूसरे ब्राहमणों को दिलाकर भी उस ब्राहमण ने पैर के अंगूठे से तिलक किया था। आज ही के दिन यानि 6 जून 1992 को राजस्थान के भरतपुर जिले के कुम्हेर में स्वर्णों ने दलितों के घरों पर हमला करके 22 लोगों को मार दिया। दो नाबालिग लड़कियों की इज्जत लूटी गई। पोत्रियों की इज्जत बचाते हुए दादा की दानो बाहें काट दी गईं। 600 घरों को आग के हवाले कर दिया गया। लोगों की जान माल की रक्षा करने वाले प्रशासन की मिली भगत और स्वर्णों की मर्दानगी देखिये कि हमला किए जाने से पहले पुलिस ने छापा मार कर युवायों को पकड़ा और दलितों के घरों में पड़े घरेलू औजारों को भी जब्त कर लिया ताकि उन्हें हथियार के तौर पर इस्तेमाल ना किया जा सके। इस घटना की रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई। यहां का डी.आई.जी. दलित था लेकिन उसको तीन महीने पहले ही अधिकारहीण कर दिया गया। डी.सी. दलित था लेकि...

History in 5 May

. . . . . . . . . इतिहास में 5 जून . . . . . . . . . . - - - - - - -*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-* - - - - - - - - - आज के दिन यानि 5 जून 1659 को मुगल शासक औरंगजेब आधिकारिक रूप से दिल्ली की गद्दी पर बैठा था। मुगलों में से बादशाह औरंगजेब को इतिहास की पुस्तकों में सबसे ज्यादा बदनाम किया गया है। अगर धर्म का चश्मा उतारकर देखा जाए तो औरंगजेब भी दूसरे राजाओं की तरह ही था। उसे हिंदुओं का दुश्मन तक कहा जाता है लेकिन उसके दरबार में भी कई ब्राह्मण मंत्री थे। 5 जून 1952 को कोलंबिया यूनीवर्सिटी न्यूयार्क ने बाबा साहेब डाः अम्बेडकर को उनकी समाज के प्रति की गई सेवा को देखते हुए उन्हें एल.एल.डी. की आनरेरी डिग्री से सम्मानित किया था। 5 जून 1984 को आप्रेश्न बल्यू सटार तहत भारतिय सेना श्री हरिमंदिर साहेब में दाखिल हुई थी। उस समय श्री गुरू अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस मनाया जा रहा था इसलिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी ज्यादा थी। फौजी कार्रवाही में आम श्रद्धालु भी मारे गए। चारों तरफ लाशें ही लाशें दिखाई दे रही थीं। फौजियों ने पवित्र स्थान पर बीड़ी सिगरेटें पीकर पवित्रता को भंग किया। अगर यह आप्रेशन किसी और द...