. . . . . . . . . इतिहास में 27 जून . . . . . . . . . .
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आज के दिन यानि 27 जून 1839 को महाराजा रणजीत सिंह की मौत हुई थी। रणजीत सिंह को कशमीरी डोगरों और लाल सिंह और तेज सिंह जैसे ब्राहमणों ने अपने वश में रखने के लिए शराब की लत लगा दी थी। वो बेहद तेज से तेज शराब पीने का आदी हो गया। इसी आदत ने उसको जिस्मानी तौर पर कमजोर कर दिया और गद्दार अपनी मनमानी करते रहे। उसे अधरंग का दौरा पड़ा और उस ने बिस्तर पकड़ लिया। आखिर 27 जून 1839 को उस की मौत हो गई। मौत के बाद गद्दारों ने सिक्ख राज के परखच्चे उड़ा दिए। लाहौर दरबार अंग्रेजों के हाथ चला गया। अगर महाराजा रणजीत सिंह समझदारी से काम लेता और कुर्बानी करने वाले निम्न वर्ग के सिक्खों को मान सम्मान देता तो उसका राज शायद कभी खत्म नहीं होता।
आज ही के दिन यानि 27 जून 1935 को बाबा साहेब ने सरकारी लॉ कालेज बंबई के प्रिंसीपल का पदभार सम्हाला था।
आज ही के दिन यानि 27 जून 2014 को भवानीगढ़ जिला संगरूर पंजाब में जमीनी अधिकार मांग रहे दलितों पर बिना कुसूर अंधाधूंद लाठीचार्ज हुआ। इन लोगों में सें 41 को अलग अलग धारायों में पर्चे दर्ज करके जेल में बंद किया गया। इन धारायों में 307 की धारा भी लगाई गई थी। बिना कुसूर के ही दलितों को कई महीने जेल में रहना पड़ा। पुलीस की मार के शिकार सिर्फ मर्द ही नहीं हुए बल्कि 9 महलाएं भी गंभीर रूप में जख्मी हुईं। जब दलितों को पीटा जा रहा था उस समय अकाली दल से संबंधित अनुसूचित जाती कमिशन पंजाब का सदस्य और पंजाब सरकार में मंत्री रहा दलीप सिंह पांधी भवानीगढ़ के धटनास्थल पर हाजिर था। उसने दलितों पर होते जुल्म को अपनी आंखों से देखा। लेकिन उसने उनके बचाव में तो क्या बोलना था बल्कि उसने पुलिसिया कार्रवाई को जायज बताते हुए दलितों को ही गलत ठहराया।
दर्शन सिंह बाजवा
संपादक अंबेडकरी दीप
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