दक्षिण भारत में पुलिसिया अत्याचार की करूर घटना घटी है। दलित समाज के बाप बेटे को दुकान पंद्रह मिनट लेट तक खोले रखने के जुर्म में पुलिस ने हिरासत में लिया और बेरहमी से पीटकर मार दिया। पर उत्तर भारत में इसका कोई विरोध नहीं हो रहा। तूतीकोरिन (तूतुकुड़ी) की घटना पर हिंदी पट्टी में चुप्पी ठीक नहीं है। दक्षिण भारतीयों को ये नहीं लगना चाहिए कि हमने उनके संघर्ष में उनका साथ नहीं दिया। ये दूरियां कम करने का वक्त है। पुलिस का टॉर्चर यूपी-दिल्ली कहां नहीं है। इसीलिए साथ दीजिए, लिखिए, बोलिए। जिन्हें नहीं मालूम है कि क्या हुआ, वो जानें। 18 जून की रात को तूतीकोरिन के सांताकुलम क्षेत्र में पुलिस ने दुकानदारों को समय से दुकान बंद करने को कहा। कथित तौर पर किसी ने पुलिस पर कमेंट पास किया। पुलिस को लगा कि जयराज ने कमेंट मारा। पुलिस #Jayaraj (59) को थाने उठा ले गई। परेशान #EmmanuelBenicks (31) भी अपने पिता के लिए थाने पहुंचा। वहां पुलिस ने दोनों बाप-बेटे को खूब पीटा। यहां ‘पीटा’ बहुत छोटा शब्द है। उनका पुलिस ने सेक्सुअल टॉर्चर किया। मैं हिम्मत कर के विवरण लिख रहा हूं। आपको मालूम तो हो कि ह...