इतिहास में 18 मार्च 18 मार्च का दिन पढ़े लिखे लेकिन जागती जमीर वाले हमारे लोगों के लिए ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आज के दिन यानी 18 मार्च 1956 को आगरा के रामलीला मैदान में बोलते हुए बाबा साहब डाः भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि मुझे मेरे पढ़े लिखे लोगों ने धोखा दिया है। यह बात उन्होंने रोते हुए कही थी। उनका रोने का कारण यह था कि वे समझते थे कि मैं एक आदमी पढ़ा तो हमारे समाज के लिए काफी कुछ अच्छा किया जा सका। अगर काफी संख्या में हमारे लोग पढ़ लिख जाएंगे तो यह मूवमेंट बड़ी तेजी से फैलेगी। इसलिए उन्होंने अंग्रेजी सरकार से बातचीत करके अनुसूचित जाति और जनजाति के मेधावी बच्चों को विदेशों में पढ़ने के लिए वजीफे दिलवाए। वे लोग पढ़कर वापिस तो लौटे लेकिन उन्होंने अपने समाज के लिए कुछ किया नहीं। वे समाज को भूलकर सिर्फ़ अपने परिवार तक सीमित हो गए। इसी बात को लेकर बाबा साहब चिंतित रहते थे। वे रात को अकेले में रोते भी थे। जब बाबा साहब के सटैनो नानक चंद रत्तू जी ने एक बार झिझकते हुए उनसे इसका कारण जानना चाहा तो बाबा साहब ने बताया कि मैं सारी जिंदगी अपने समाज के लिए लड़ता रहा हूँ। इस तंबू में मैं अकेला बंब...